मौन और नि:शब्द तू केवल साहित्यकार का दंभ भरता है। मौन और नि:शब्द तू केवल साहित्यकार का दंभ भरता है।
निभाएँ समझाएँ करें वफादारी मार्गदर्शक बन करें सुरक्षा सारी। निभाएँ समझाएँ करें वफादारी मार्गदर्शक बन करें सुरक्षा सारी।
प्रेमियों को तो प्रेम धुन लगी है और समाज को नियमों की पड़ी है प्रेमियों को तो प्रेम धुन लगी है और समाज को नियमों की पड़ी है
पाखंडी और मुर्ख है वो समाज जो एक नारी के चीर हरण पर चुप रहा चुप रहा हर बार किसी सीता पाखंडी और मुर्ख है वो समाज जो एक नारी के चीर हरण पर चुप रहा चुप रहा हर बार...
दुनियादारी की समझ नहीं मुझे, मेरा तो बस रब ही सहारा है दुनियादारी की समझ नहीं मुझे, मेरा तो बस रब ही सहारा है
कवि नहीं हूँ फिर भी लिख रहा हूँ कविता नहीं अपनी पीड़ा को रच रहा हूँ कवि नहीं हूँ फिर भी लिख रहा हूँ कविता नहीं अपनी पीड़ा को रच रहा हूँ